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Wednesday 20 December 2017

अनुच्छेद :- 22 गिरफ़्तारी और निरोध से संरक्षण (Protection against Arrest and Detention)

अनुच्छेद 22 :- कुछ दशाओं में गिरफ़्तारी तथा निरोध के सरंक्षण में प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह गिरफ़्तारी और निवारक निरोध दोनों से सुरक्षा प्राप्त करे। अनुच्छेद 22 के अधीन दो प्रकार की गिरफ्तारियों का उल्लेख है :-

1. सामान्य विधि के अधीन गिरफ़्तारी,

2. निवारक निरोध विधि के अधीन गिरफ़्तारी।

(1) सामान्य विधि के अधीन गिरफ़्तारी :- सामान्य विधि के अंतर्गत गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकारों के प्रावधान अनुच्छेद 22 के खण्ड (1) एवं (2) दिए गए हैं :-

(i) गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ़्तारी का कारण बताये बिना अभिरक्षा में निरुद्ध नही रखा जायेगा अर्थात गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ़्तारी का कारण जानने का अधिकार प्राप्त है।

(ii) गिरफ़्तार व्यक्ति को अपनी पसंद के अधिवक्ता (विधि व्यवसायी) से परामर्श करने और अपना पक्ष रखवाने अर्थात प्रतिरक्षा कराने के अधिकार से वंचित नहीँ रखा जायेगा।

(iii) गिरफ़्तार व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर निकटतम सक्षम मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। गिरफ़्तारी के स्थान से न्यायालय तक ले जाने में लगने वाले आवश्यक समय को इसमें शामिल नहीँ किया जायेगा।

(iv) मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना 24 घन्टे से अधिक निरुद्ध नहीँ रखा जायेगा।

अनुच्छेद 22 (3) में यह दिया गया है कि "अनुच्छेद 22 के खण्ड 1 एवं 2" में दिए गए अधिकार निम्नलिखित दो प्रकार की कोटि में आने वाले व्यक्तियों को प्राप्त नहीं होंगे :-

a. विदेशी शत्रु को,

b. निवारक निरोध विधि के अधीन गिरफ़्तार व्यक्ति को।

(2) निवारक निरोध विधि के अधीन गिरफ़्तारी :- जैसा कि आप जानते हैं कि सामान्य गिरफ़्तारी अपराध हो जाने के बाद की जाती है। किंतु निवारक निरोध ( गिरफ़्तारी) अपराध करने से पूर्व की जाती है। यह गिरफ़्तारी अपराध होने से रोकने को की जाती है। यह कार्यवाही अपराध निवारण को की जाती है इसलिये इसे निवारणात्मक कार्यवाही भी कहा जाता है। भारतीय विधि में निवारक निरोध की कोई भी परिभाषा का उल्लेख नहीँ मिलता है।

निवारक निरोध विधि और उसके अधीन गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार

निवारक निरोध की किसी विधि के अधीन किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार किया जाता है तो
अनुच्छेद 22 के खण्ड 4 से 7 में दी गई प्रक्रिया का पालन किया जायेगा जो कि निम्नवत है :-

अनुच्छेद 22 (4) :-   i. निवारक निरोध विधि के अंतर्गत अधिकतम तीन मास तक निरुद्ध किये जाने का प्रावधान किया जा सकता है।

ii. तीन माह से अधिक निरुद्ध तभी किया जा सकता है जब सलाहकार बोर्ड से समय विस्तार की राय प्राप्त की जा चुकी हो। ऐसी राय सलाहकार बोर्ड द्वारा तीन माह की निरोध अवधि पूर्ण होने से पूर्व दी गई हो।

अनुच्छेद 22 (5) :-  इसके अंतर्गत निरूद्ध व्यक्ति को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं :-

i. इस प्रकार गिरफ्तार व्यक्ति को गिफ्तारी के आधारों से अवगत कराया जायेगा।

ii. परामर्श बोर्ड के विचार के लिए अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का अधिकार

iii. परामर्श बोर्ड , निरोध आदेश जारी होने की तिथि से तीन माह के भीतर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा।

अनुच्छेद 22 निरोध प्राधिकारी के कर्तव्य के बारे में भी बताता है कि उसका यह कर्तव्य है कि वह निरूद्ध व्यक्ति को आदेश प्रेषित  करने की सूचना दे क्योंकि यह निरूद्ध व्यक्ति का अधिकार है कि वह प्रत्यावेदन दे एवम परामर्श समिति उसे सुने।

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THANKS.......

7 comments:

Unknown said...

Very nice

Unknown said...

Very nice Sir

Unknown said...

Nice sir g

Unknown said...

Thanks sir

Unknown said...

Good information sir

Unknown said...

सर क्या निवारक निरोध अधिनियम मे, गिरफ़्तारी का कारण बताना अनिवार्य है क्या

Unknown said...

thanks bro