अनुच्छेद 30 का उद्देश्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना है। अनुच्छेद 30, अनुच्छेद 29 से व्यापक अधिकार देता है। अपनी रुचि की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना औऱ प्रशासन का अधिकार, शिक्षा का माध्यम और पढ़ाए जाने वाले विषयों को चुनने के जैसे अधिकार शामिल हैं। अनुच्छेद 30 में अल्पसंख्यक वर्गों को जो अधिकार दिए गए हैं, वह अनुच्छेद 29 की भावना को क्रियान्वित करने हेतु दिए गए हैं।
अनुच्छेद 30 (1) :- सभी अल्पसंख्यक वर्गों को धर्म या भाषा पर आधारित अपनी रुचि की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना का और प्रशासन का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 30 (1क) :- यदि राज्य अल्पसंख्यक वर्ग की शिक्षण संस्था की सम्पत्ति को अर्जित करना चाहता है तो उसे पूर्ण प्रतिकर देना होगा।
संविधान में 'अल्पसंख्यक' शब्द की परिभाषा नहीँ दी गई है। किन्तु अनुच्छेद 29, 30 में जिन अल्पसंख्यक वर्गों का उल्लेख किया गया है उनके सम्बन्ध में केरल शिक्षा विधेयक, 1958 के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई समुदाय जिसकी जनसँख्या (राष्ट्रीय स्तर पर या प्रान्तीय स्तर पर) 50 प्रतिशत से कम है, वह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक या राज्यस्तरीय अल्पसंख्यक वर्ग होगा।
राज्य का हस्तक्षेप
राज्य अनुच्छेद 30 में दिए गए स्थापना और प्रशासन के अधिकार का समाज या लोकहित में अतिक्रमण कर सकता है। शिक्षकों व् पाठ्यक्रम के मानक पर खरे न उतरने तथा राष्ट्रद्रोही गतिविधियों के शिक्षण संस्थाओं में संचालित करने जैसे विषयों पर राज्य हस्तक्षेप कर सकता है।
अनुच्छेद 30 (2) :- राज्य ऐसी संस्थाओं से इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह किसी धार्मिक संप्रदाय के प्रबन्धन में हैं।
सेंट स्टीफेन कॉलेज बनाम दिल्ली विश्वविद्यालय, के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं में 50 प्रतिशत अन्य समुदाय के छात्रों को प्रवेश देना होगा।
अहमदाबाद सेंट ज़ेवियर कॉलेज बनाम गुजरात राज्य, AIR 1974 SC 1389 के वाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि प्रबन्धन और मान्यता का अधिकार मूल अधिकार नहीँ है। प्रबंधन के अधिकार का अर्थ है कि संस्थाओं में कार्यों का प्रभावी रूप से संचालन करना। प्रबंधन के अधिकार में चार सिद्धान्तों का समावेश होना चाहिये :-
1. शासकीय तंत्र,
2. शिक्षित अध्यापक,
3. छात्रों के विषय चुनने की स्वतंत्रता व्
4. अपनी संपत्ति किसी संस्था के काम आ सके।
अनुच्छेद 29 व् 30 पर सबसे महत्वपूर्ण निर्णय टी• एम्• ए• पाई फाउंडेशन कम्पनी लि• बनाम स्टेट ऑफ़ कर्नाटक, AIR 2003 SC 355 के वाद में उच्चतम न्यायालय की ग्यारह न्यायाधीशों की पीठ ने निर्णय दिया है कि राज्य और विश्वविद्यालय को धार्मिक और शैक्षिणिक रूप से अल्पसंख्यकों द्वारा चलाई जा रही गैर सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश नीति के मामले का विनियमन करने का अधिकार नहीँ है। राज्य इन गैर सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के सम्बन्ध में शुल्क एवं प्रवेश को लेकर कोई विधि नहीँ बना सकता।
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