Saturday 20 January 2018

भारत का उपराष्ट्रपति

अनुच्छेद 63 के अनुसार भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। उराष्ट्रपति का पद अमरीका से लिया गया है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद तुरन्त उसके पद पर पदासीन होता है। यह पद के अनुसार ही कार्यों का संपादन करेगा। इसी तरह के कार्य की वह शपथ लेता है।

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं राज्यपाल की शपथ का प्रावधान अलग-अलग अनुच्छेदों में किया गया है। इनके अतिरिक्त अन्य पदाधिकारियों की शपथ का प्रावधान अनुसूची III के अंतर्गत किया गया है।

        उराष्ट्रपति का निर्वाचन

अनुच्छेद 66 के अनुसार मूल संविधान में यह उपबन्ध था कि उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संयुक्त अधिवेशन में समवेत संसद के दोनों सदनों द्वारा होगा। उपराष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मतदान द्वारा होगा। 11 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1961 द्वारा इस प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया। अब उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित एवं मनोनीत सभी सदस्यों से मिलकर बनने वाले 'निर्वाचन मण्डल' के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है और ऐसे निर्वाचन में गुप्त मतदान होता है। संसद ने 1952 में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम पारित किया था। उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को इस आधार पर न्यायालय में प्रश्नगत नहीँ किया जायेगा कि उस समय निर्वाचक मण्डल में कोई स्थान रिक्त था। उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बंधित सभी विवादों की जाँच उच्चतम न्यायालय करेगा।

        उपराष्ट्रपति पद हेतु योग्यतायें

कोई भी व्यक्ति भारत का उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए तभी योग्य होगा जब वह :-

i. भारत का नागरिक हो,

ii. 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो,

iii. राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो,

iv. वह लाभ के पद पर कार्यरत न हो,

v. संसद के किसी सदन व् राज्य विधानमण्डल के किसी सदन का सदस्य न हो।

अनुच्छेद 65 :- राष्ट्रपति के पद त्याग करने पर, मृत्यु हो जाने पर या पद से हटाए जाने से पद खली होने पर उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।

           उपराष्ट्रपति का पुनर्निर्वाचन

राष्ट्रपति के पद के लिए पुनर्निर्वाचित होने की स्पष्ट घोषणा अनुच्छेद 57 में की गई है किंतु उपराष्ट्रपति के पद के लिए ऐसी कोई स्पष्ट घोषणा नहीँ की गई है। लेकिन अनुच्छेद 66 का स्पष्टीकरण इस बात की गुंजाईश छोड़ देता है कि उपराष्ट्रपति के पद पर कोई भी व्यक्ति दोबारा निर्वाचित हो सकता है।

अनुच्छेद 66 का स्पष्टीकरण :- कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीँ समझा जायेगा कि वह संघ का राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल अथवा संघ का या राज्य का मंत्री है।

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