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Tuesday 30 January 2018

भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Controller and Auditor - General of India)अनु• 148-151

संविधान के अनुसार भारत सरकार में एक और महत्वपूर्ण पद नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का है जो देश की समस्त वित्तीय प्रणाली संघ और राज्य दोनों स्तरों का नियंत्रण करता है।
                                          (अनु• 148)
डॉ• भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि नियंत्रक-महालेखापरीक्षक भारत के संविधान के अधीन सबसे अधिक महत्व का अधिकारी होगा। वह सार्वजानिक धन का संरक्षक होगा। उसका यह कर्तव्य होगा कि वह यह देखे कि भारत के या किसी राज्य के संचित धन से विधान मंडल के बिना एक पैसा भी खर्च न हो जाये। वह अपना कर्तव्य सही प्रकार से निभा सके इसलिये वह कार्यपालिका के नियंत्रण में और अधीनस्थ नहीँ रहना चाहिये।
नियुक्ति :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
पद से हटाया जाना :- उसे संसद के दोनों सदनों के समावेदन पर ही हटाया जा सकता है जिसके आधार कदाचार और असमर्थता हो सकेंगे।
संसद द्वारा नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सेवा की शर्तें) अधिनियम 1971 पारित किया गया। उक्त अधिनियम में 1976 में संशोधन कर निम्न उपबन्ध किये गए :-
1. नियंत्रक महालेखापरीक्षक की पदावधि छः वर्ष होगी। किन्तु -
i. 65 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर छः वर्ष की अवधि के समाप्त होने से पहले ही पद खाली हो जायेगा।
ii. वह किसी भी समय राष्ट्रपति को अपने हस्ताक्षर सहित त्यागपत्र प्रस्तुत कर पद त्याग कर सकता है।
iii. उसे महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।
                          {अनु• 148 (1), 124 (4)}
2. उसका वेतन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर होगा।
3. वह सेवानिवृत्ति के बाद भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी पद के लिये पात्र नहीँ होगा।
4. CAG के वेतन, भत्ते एवं पेंशन तथा प्रशासनिक व्यय भारत सरकार की संचित निधि पर भारित होंगे।
■ उसके सेवा काल में उसके वेतन और सेवा की शर्तों में अलाभकारी परिवर्तन नहीँ किया जायेगा।
■ CAG संसद द्वारा विधि के अंतर्गत निर्धारित कार्यों एवं शक्तियों का संचालन करता है।
■ केंद्र सम्बंधित लेखा परीक्षण का प्रतिवेदन वह राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करता है राष्ट्रपति उसे संसद के समक्ष पेश करवाता है।
■ राज्यों के सम्बन्ध में वह लेखा परीक्षण का प्रतिवेदन राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करता है जिसे राज्यपाल विधान सभा के समक्ष रखवाता है।
■ केंद्र तथा राज्यों द्वारा किए गए व्यय, विवेकपूर्ण एवं मित्तव्ययिता ढंग से किये गए हैं यह सुनिश्चित करने का कार्य CAG का है।
अनुच्छेद 150 के अनुसार CAG संघ एवं राज्यों के लेखाओं को ऐसे प्रारूप में रखेगा जो राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।
■ CAG राष्ट्रपति के समक्ष शपथ लेता है।
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