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Friday 5 January 2018

अनुच्छेद 43 - 51 राज्य के नीति निदेशक तत्व का शेष

पिछले article राज्य के नीति निदेशक तत्व में हमने अनुच्छेद 36 से 42 तक का अध्ययन किया था। इस article में हम राज्य के नीति निदेशक तत्व के शेष अनुच्छेद 43 से 51 तक का अध्ययन करेंगे।

अनुच्छेद 43 :- राज्य उपयुक्त विधान या आर्थिक संगठन द्वारा या किसी अन्य रीति से कृषि के, उद्योग के या अन्य प्रकार के सभी कर्मकारों को काम, निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवन स्तर और अवकाश का सम्पूर्ण सुनिश्चित करने वाली काम की दशायें तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया ग्रामों में कुटीर उद्योगों को वैयक्तिक और सहकारी आधार पर बढ़ाने का प्रयास करेगा।
           मनरेगा कार्यक्रम अनुच्छेद 43 को लागू कराने के लिए लागू किया गया।

अनुच्छेद 43 क :- राज्य ऐसे विधान का निर्माण करेगा जिसके द्वारा किसी उद्योग में कर्मकारों का भाग लेना सुनिश्चित कर सके।

अनुच्छेद 43 ख :- राज्य सहकारी समितियों के गठन, प्रबन्धन और सम्पादन में अभिवृद्धि करने का प्रयास करेगा।
(संविधान का 97 वां संशोधन, 2011 द्वारा अंत:स्थापित किया गया।)

अनुच्छेद 44 :- भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता लागू करने का प्रयास राज्य द्वारा किया जायेगा।

अनुच्छेद 45 :- राज्य 6 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के पूर्व-बाल्यकाल की देख- रेख और उन्हें शिक्षा देना का प्रयास भी करेगा।
               (86 वें संविधान संशोधन द्वारा)

अनुच्छेद 46 :- राज्य जनता के दुर्बल वर्गों के, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा सम्बन्धी हितों की अभिवृद्धि करेगा और सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा करेगा।

अनुच्छेद 47 :- राज्य नागरिकों के जीवन स्तर और उनके खान-पान के स्तर को ऊँचा करने और उनके स्वास्थ्य में सुधार करने को अपना प्राथमिक कर्तव्य मानेगा।

अनुच्छेद 48 :- राज्य कृषि और पशुपालन का आधुनिक तथा वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठन करने का प्रयास करेगा।

अनुच्छेद 48 क :- राज्य देश के पर्यावरण का संरक्षण और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा की व्यवस्था करेगा।

अनुच्छेद 49 :- संसद द्वारा निर्मित विधि के अधीन राष्ट्रीय महत्व वाले कलात्मक या ऐतिहासिक प्रत्येक स्मारक, स्थान या वस्तु का नष्ट होने, विरूपण, अपसारण, व्ययन या निर्यात से संरक्षण करना राज्य की बाध्यता होगी।

अनुच्छेद 50 :- राज्य, राज्य की लोकसेवाओं में कार्यपालिका से न्यायपालिका के पृथक्करण का प्रयास करेगा।

अनुच्छेद 51 :- राज्य अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए, राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण सम्बन्धों को बनाये रखने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधि बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का और अंतर्राष्ट्रीय विवादों का माध्यस्थम द्वारा निपटाने को प्रोत्साहन देने का प्रयास करेगा।

महत्वपूर्ण वाद

मिनर्वा मिल्स  बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के नीति निदेशक तत्वों को और मूल अधिकारों को संविधान की आत्मा कहा है।

केशवानन्द भारती  बनाम  केरल राज्य के वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने मूल अधिकारों तथा नीति निदेशक तत्वों को एक दूसरे का पूरक माना है।

सरला मुदगल  बनाम भारत संघ के वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने समान नागरिक संहिता लागू करने का निर्देश दिया है।

एम्• एच• हॉस्टकाट  बनाम  महाराष्ट्र राज्य के वाद में विधिक सहायता को बंदी का मूलाधिकार माना गया है।

हुस्नआरा खातून  बनाम  गृह सचिव बिहार राज्य के मामले में न्यायालय ने शीघ्रतर परीक्षण को बंदी का मूल अधिकार माना है।

रणधीर सिंह  बनाम  भारत संघ के वाद में समान कार्य के लिए समान वेतन को नीति निदेशक तत्व माना गया है।

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