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Monday 8 January 2018

भाग - 5 संघ (UNION)

भारतीय संविधान के भाग 5 में संघ को उल्लेखित किया गया है। यह कार्यपालिका, विधायिका (संसद) और न्यायपालिका से मिलकर बना है। इसमें राष्ट्रपति, उराष्ट्रपति, मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष व् उपाध्यक्ष, संसद सदस्य, उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, महाधिवक्ता, महालेखा परीक्षक और नियंत्रक शामिल हैं।

★ भारत में कार्यपालिका शक्ति को दो वर्गों में विभाजित किया गया है :-

i. नाम मात्र की कार्यपालिका शक्ति,

ii. वास्तविक कार्यपालिका शक्ति।

★ नाम मात्र की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है।

★ वास्तविक कार्यपालिका शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित है।

★ मंत्रिपरिषद का प्रधान, प्रधानमंत्री होता है।

★ अनुच्छेद 75(3) के अनुसार मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।

★ संविधान के अनुसार भारत का राष्ट्राध्यक्ष राष्ट्रपति है।

आयरलैंड के संविधान की तर्ज पर भारतीय संविधान में संसदीय प्रणाली के अंतर्गत निर्वाचित राष्ट्रपति की व्यवस्था की गई है। भारत का राष्ट्रपति ब्रिटेन के सम्राट साम्राज्ञी की तरह वंशानुगत नहीँ होता है।

              राष्ट्रपति का निर्वाचन

अनुच्छेद 54 :- राष्ट्रपति के निर्वाचन में निम्नलिखित भाग लेते हैं :-

1. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य,

2. राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य

3. 70 वें संविधान संशोधन द्वारा राज्य शब्द में दिल्ली और पाण्डिचेरी संघ राज्यक्षेत्र को भी सम्मिलित किया गया है।

अनुच्छेद 55 (3) :- राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में गुप्त मतदान होगा।

               राष्ट्रपति की योग्यता

अनुच्छेद 58, 59 :- राष्ट्रपति निर्वाचन के लिए निम्नलिखित योग्यतायें होना आवश्यक है :-

1. वह भारत का नागरिक हो,

2. 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो,

3. लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो,

4.भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन या इन दोनों सरकारों के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण न करता हो किन्तु यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या उराष्ट्रपति के पद पर अथवा संघ या किसी राज्य का मंत्री या किसी राज्य का राज्यपाल हो तो वह लाभ के पद पर नहीं माना जायेगा।

5. राष्ट्रपति संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होगा {अनुच्छेद 59 (1)} किन्तु यदि वह ऐसा सदस्य रहते हुए निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जायेगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है।
                                   {अनुच्छेद 59 (2)}

अगले आर्टिकल में राष्ट्रपति की पदावधि व् राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का अध्ययन होगा

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