पिछले article में हमने भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन व् राष्ट्रपति पद हेतु योग्यताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की थी। आज के article में हम आज भारतीय राष्ट्रपति की पदावधि (कार्यकाल) राष्ट्रपति पर महाभियोग व् राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
पदावधि
अनुच्छेद 56(1) :- राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।
पाँच वर्ष के भीतर राष्ट्रपति की पदावधि दो प्रकार से समाप्त हो सकती है :-
1. उपराष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना त्यागपत्र देने पर।
(उपराष्ट्रपति इसकी सूचना तुरन्त स्पीकर को देता है)
2. महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा संविधान के अतिक्रमण के लिए हटाये जाने पर।
[अनुच्छेद 56]
महाभियोग के लिए केवल एक ही आधार है जो अनुच्छेद 61 (1) में उल्लिखित है।
3. अन्य कारण से अर्थात सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसके निर्वाचन को रद्द घोषित किये जाने या अनुपस्थिति, बीमारी आदि स्थितियों में।
राष्ट्रपति का पद खाली होने पर उपराष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में भारत का मुख्य न्यायाधीश या अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करके कार्यभार सम्भालते हैं।
महाभियोग की प्रक्रिया
अनुच्छेद 61 :- राष्ट्रपति के ऊपर महाभियोग की प्रक्रिया संसद द्वारा संचालित की जाती है। यह न्यायिक कल्प प्रक्रिया होती है। इसका आधार राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लंघन किया जाना है। इस प्रक्रिया के लिये संसद के किसी भी सदन में संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाया जायेगा।
ऐसा आरोप लगाए जाने के लिए अनिवार्य है कि उस सदन के लगभग 1/4 सदस्यों के हस्ताक्षर सहित पारित संकल्प प्रस्ताव के आशय की सूचना 14 दिन पूर्व दी जाये और उस सदन की कुल सदस्य संख्या के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित किया जाये। प्रथम सदन द्वारा इस प्रकार पारित प्रस्ताव को दूसरे सदन में प्रेषित किये जाने पर दूसरा सदन उस आरोप की जाँच करेगा या किसी समिति से करायेगा।
ऐसे अन्वेषण में राष्ट्रपति स्वयं या अपने प्रतिनिधि के माध्यम से अपना पक्ष रख सकता है। आरोप के सिद्ध होने पर दूसरा सदन यदि दो तिहाई बहुमत से उस प्रस्ताव को पारित कर देता है तो पारित प्रस्ताव की तिथि से राष्ट्रपति को अपने पद से हटना होगा अर्थात उसका पद खली हो जाता है।
महाभियोग से सम्बंधित किसी पारित प्रस्ताव के सम्बन्ध में न्यायिक पुनर्विलोकन का कोई मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय नहीँ पहुंचा है किंतु 1978 में एक लेख में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मैथ्यू ने यह विचार व्यक्त किया कि राष्ट्रपति के ऊपर महाभियोग प्रक्रिया से सम्बंधित पारित संकल्प प्रस्ताव न्यायिक पुनर्विलोकन के अधीन है।
अनुच्छेद 62 (2) :- राष्ट्रपति की मृत्यु, पद त्याग या पद से हटाये जाने या अन्य कारण से पद रिक्त होने पर छः महीने के अंदर निर्वाचन कराया जाएगा।
राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति
राष्ट्रपति को निम्नलिखित अधिकारियों की नियुक्ति करने की शक्ति प्राप्त है :-
1. प्रधानमंत्री,
2. मंत्रिपरिषद के अन्य मंत्री,
3. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक,
4. उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश,
5. राज्यपाल,
6. महान्यायवादी,
7. संघ लोकसेवा आयोग,
8. मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त,
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